भारत को क्या पाकिस्तान से मैत्री करनी चाहिए, योगेश मोहन

मेरठ : हम भारत-पाक की मित्रता के विषय में चर्चा करते हैं, तो अधिकांश देशभक्तो के मस्तिष्क में सर्वप्रथम नकारात्मक विचार आते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि वर्ष 1947 की आतंकी घटनाएं तथा युद्ध के स्मरण मात्र ही से हमारा हृदय, घृणा और क्षोभ से युक्त हो जाता है। वर्तमान में भी पाकिस्तान में आतंकी घटनाएं नित् प्रतिदिन हो रही हैं। पाकिस्तान के ही एक भाग, ब्लूचिस्तान की जनता के द्वारा पाकिस्तान का विरोध करने पर पाक स्वयं को निष्पाक तथा भारत को इसका दोषी सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है। परन्तु इस घटना में क्या सच्चाई निहित है यह कहना उसी प्रकार असम्भव है, जैसे पाकिस्तान के द्वारा यह प्रचार किया जाना कि भारत में घटित आतंकी घटनाओं में उसका तनिक भी हाथ नहीं है।
इस लेख को लिखने में लेखक का मुख्य उद्देश्य यही है कि इसके माध्यम से समस्त विश्व, युद्ध की विभीषिका से स्वयं को दूर रखें क्योंकि युद्ध परस्पर वैमनस्य, ईर्ष्या, द्वेष के नकारात्मक भाव को इतना अधिक उद्वेलित करते हैं कि व्यक्ति मानवता की भावना को पूर्णतया त्याग कर एक-दूसरे को रक्त-रंजित करने के लिए तत्पर हो जाता है। मेरा समस्त जनता को यही एक संदेश है कि प्रत्येक समस्या का समाधान परस्पर वार्ता से ही निकाला जा सकता है, प्रत्येक युद्ध के पश्चात शांति वार्ता स्वरूप की जाने वाली बैठक इसका प्रमुख उदाहरण है।
आज पाकिस्तान भी युद्ध की अपेक्षा मैत्रीय संबंध स्थापित करने के अथक प्रयास कर रहा है। इसके लिए उसने भारत के समक्ष मैत्रीय संदेश प्रेषित किए हैं। भारत के नेतृत्व को इस परिस्थिति का लाभ उठाना चाहिए। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है क्योंकि विगत घटनाओं के आधार पर सम्पूर्ण विश्व के अन्य देशों के रूख को दृष्टिगत करते हुए, भारत देश की रक्षार्थ मैत्रीय संबंधो को स्वीकारना होगा, अन्यथा देश को जन-धन की अत्यधिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है। भारत अन्य देशों की अपेक्षा, युद्ध से पूर्व स्वयं को कितना आधुनिक अस्त्र-शस्त्र से परिपूर्ण किए हुए है, इसका यदि हम आंकलन करें तो आज हमारे पास 29 स्कवाड्रन हवाई जहाज हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 25 और चीन के पास 66 अत्याधुनिक स्कवाड्रन हैं। वर्तमान स्थिति में हम चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध करने की स्थिति में नहीं हैं। पाकिस्तान और हमारी स्थिति लगभग एक सी है। उसको 5वीं पीढ़ी के 2 स्कवाड्रन लड़ाकू विमान चीन से और प्राप्त हो जायेंगे। भारत एक विकासशील देश है, यदि युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है तो हम अन्य देशों की अपेक्षा प्रत्येक क्षेत्र में बहुत अधिक पिछड़ जायेंगे।
भारत को यही रणनीति अपनानी होगी कि पाकिस्तान के साथ इस समय वार्ता करके मैत्रीय संबंध बनाने का प्रयास करें और ज्वलंत समस्याओं समाधान करके पाकिस्तान को चीन के प्रभाव से दूर करने के प्रयास करें। यदि हमने भारत-पाक मैत्रीय की कूटनीति को अपनाया तो, जो विस्तार का कार्य चीन और रूस पाकिस्तान में कर रहे हैं, वह कार्य भारत के द्वारा किया जाएगा। ऐसा करने से भारत को यह लाभ होगा कि उसका औद्योगिक विस्तार होगा, जिससे भारत को लाभ प्राप्त होगा। परिणामस्वरूप विश्व में भारत का प्रभुत्व शनै-शनै सशक्त होता जाएगा। फलस्वरूप हम भारतीयों पर पड़ौसी देशों के युद्ध का भय भी समाप्त हो जाएगा। भारत देश के नेतृत्व को परस्पर राजनीतिक वैमनस्य को त्यागकर देशहित के विषय में चिंतन करना होगा। लेखक अपने उन्मुक्त विचारों को साझा करते हुए इससे भी आशवस्त हैं कि समस्त देशभक्त उनके विचार से सहमत न हो, परन्तु वे लोग यह भी विस्मरण न करें कि एक दिन आदरणीय मोदी जी भी इसी मैत्रीय भाव को संदेश देने हेतु समस्त प्रोटोकोल का उलंघन करते हुए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नवाज शरीफ के निवास स्थान पर उनके जन्मदिन पर पहुँच गये थे। यद्यपि उनके इस निर्णय की आलोचना समस्त विपक्षी दलों ने की थी, परन्तु उनका यह महत्वपूर्ण निर्णय देशहित की भावना से परिपूर्ण था, जिसको उस समय भी समझना मुश्किल था और आज भी समझना मुश्किल है। आज उसी प्रेम भावना को पुनः जाग्रत करना होगा, तभी सम्पूर्ण विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम् भी भावना पुनः जाग्रत होगी। ऐसा लेखक का विचार है।

योगेश मोहन

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