बाबा औधड़नाथ मंदिर में पिछले लगभग 50 वर्ष से शिवलिंग के आकार के स्वरूप में आए परिवर्तन के बाद मंदिर कमेटी द्वारा शिवलिंग को क्षरण से बचाने की कवायद शुरू कर दी है, माना जाता बाबा औधड़नाथ का शिवलिंग स्वयंभू है और इसके आकार का भी नहीं पता यह जमीन के कितना नीचे है लेकिन जिस स्थान को पूजा व शिवलिंग पर जल अर्पण किया जाता है उसके आकार में फर्क आने लगा है। शिवलिंग के आकार को बचाने के लिए मंदिर समिति द्वारा प्रयास शुरू किए जाने लगे हैं। मंदिर समिति द्वारा शिवलिंग पर अभी अस्थाई रूप से बाबा के पंचमुखी शिवलिंग आकार को स्थापित कर दिया है। पंचमुखी शिवलिंग विशेष तौर पर सावन पर्व अमरनाथ पूजा पर ही स्थापित किया जाता था लेकिन अभी शिवलिंग को बचाने के लिए शिवलिंग के ऊपर पंचमुखी शिवलिंग पर ही श्रद्धालु जल चढ़ाकर बाबा की आराधना कर रहे हैं। मंदिर कमेटी को कड़े कदम उठाने होंगे बाबा के शिवलिंग पर पवित्र जल के अलावा ऐसी किसी वस्तु को शिवलिंग पर डायरेक्ट चढाने से रोकना होगा जिससे शिवलिंग क्षरण हो रहा है श्रद्धालुओं को शिवलिंग के ऊपर ऐसी कोई वस्तु अर्पण नही करने दी जानी चाहिये जिससे शिवलिंग क्षरण हो रहा है। श्रद्धालुओं के लिए ऐसे नियम बनाने होंगे जिससे शिवलिंग के स्वरूप को बचाया जा सके। मंदिर के पुजारी द्वारा जब आरती की जाती है तो बाबा के शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर विधि पूर्वक पूजा की जाती है वह ऐसे ही चलते रहना चाहिए। बाबा का नियम अनुसार अभिषेक भी हो जाएगा और श्रद्धालुओं को बाबा का अभिषेक करना है, दूध चढ़ाना है, गन्ने का रस आदि या अन्य सामग्री शिवलिंग पर चढ़ानी है वह सब शिवलिंग के पास बाबा को किसी पात्र में रखकर अर्पण की जा सकती है जिससे शिवलिंग को नुकसान भी नहीं होगा और जो अभिषेक की सामग्री दूध रस धी आदि जो भी चीजें हैं वह प्रसाद के रूप में वितरण भी की जा सकेंगी।