महाकुंभ भारत का गौरव और योगी जी का चमत्कार*

*महाकुंभ भारत का गौरव और योगी जी का चमत्कार*

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 144 वर्षो के पश्चात वर्ष 2025 में महाकुंभ का आयोजन हुआ। इस महाकुंभ में देश-विदेश के सभी सन्त, आचार्य, पीठाधीश, चारों शंकराचार्य, गंगा मैया में पुण्य स्नान के माध्यम से नई शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने हेतु संगम की पावन धरती पर पधारे।
कुम्भ में जहाँ साधु-सन्तों का आगमन होता है, वहाँ श्रद्धालुओं और राजनेताओं का आना स्वाभाविक हो जाता है, क्योंकि इससे उन्हें दो लाभ प्राप्त होते हैं। प्रथम सन्तो का आशर्वाद, द्वितीय गंगा मैया के अमृत रूपी जल में स्नान करके अपने समस्त पाप धोकर नई ऊर्जा व शक्ति का सृजन करते हैं।
इस महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक सनातनियों ने डुबकी लगा ली है और अभी भी श्रद्धालुओं का निरन्तर आगमन हो रहा है। शेष श्रद्धालु, जो किसी कारणवश नहीं पहुँच सके, उन्होंने संगम का पावन जल मंगवाकर अपने ऊपर छिड़ककर, अपने निवास स्थान पर ही पुण्य प्राप्त कर लिया। इससे प्रतीत होता है कि भारत के अधिकांश सनातनियों के पाप धुल गये और उनसे यह आशा की जाती है कि वे अब भविष्य में कभी भी पाप नहीं करेंगे। यदि उन सनातनियों ने इस कुम्भ से मोक्ष प्राप्त नहीं किया तो अर्ध मोक्ष तो अवष्य ही प्राप्त हो गया होगा। ऐसा होने से भारत में रामराज्य स्वतः ही स्थापित हो गया है। अब भारत की 80 प्रतिशत जनता के ऊपर यह विश्वास किया जा सकता है कि वे अपराधिक प्रवृत्ति का त्यागकर, महिलाओं पर अत्याचार बन्द कर तथा भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने में संलग्न हो जायेंगे।
प्रयागराज, संगम पर इस विशाल धार्मिक पर्व के सफल आयोजन का सम्पूर्ण श्रेय उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमत्री महाराज श्री योगी आदित्यनाथ जी को ही जाता है, जिनके मुख पर श्रीराम की दिव्यशक्ति के सदृश तेज व गुण प्रतीत होते हैं। महाकुम्भ के आरम्भ से अंत तक सम्भवतया ऐसा कोई भी दिवस नहीं था कि जब महाराज जी ने अपने व्यस्तम समय से 3-4 घन्टे की अवधि इस कार्यक्रम की व्यवस्था में व्यतीत न किये हों और संन्यासी के रूप में इस महाकुंभ में कितनी बार स्नान किया होगा यह अगण्य है। सम्भवतया इसका भी एक विश्व रिकार्ड बन ही गया होगा।
इतने भव्य एवं विशाल महाकुम्भ के आयोजन में छोटी-मोटी घटनाएँ होना स्वाभाविक है, परन्तु राई का पहाड़ बनाना भी अपराध है। हमको महाकुम्भ के सफल आयोजन हेतु की गई उत्तम व्यवस्थाओं की प्रशंसा करनी चाहिए। सफाई कर्मचारी व प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी क्षमता से अधिक कार्य किया, मुख्यमंत्री जी के प्रत्येक आदेश का तत्परता से पालन कर महाकुंभ को सफल बनाया
महाकुम्भ के स्नान हेतु आये श्रद्धालुओं की भीड़ में भगदड़ होने के कारण कुछ श्रद्धालुओं ने प्राण त्याग दिए। इस दुर्घटना का सभी भारतीयों को गहन दुःख है। इस घटना पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं संतगणों ने अपनी श्रृद्धाजंली अर्पित की, परन्तु इस हृदय विदारक घटना पर एक संत की टिप्पणी, यथा – ‘जिनकी मृत्यु हुई है, उनको मोक्ष की प्राप्ति हो गई है‘ ने सभी श्रृद्धालुओं को अत्यधिक कष्ट की अनुभूति कराई। यदि उस संत की टिप्पणी में तनिक भी सत्यता है तो सर्वप्रथम उन्हें ही गंगा मैया की गोद में समाधि लेकर मोक्ष प्राप्त कर लेना चाहिए और जनता के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे जनता में उनके प्रति अपार श्रद्धा का भाव जाग्रत हो।
प्रयागराज के निवासी मुस्लिम धर्म के अनुयायियों की भी प्रशंसा करनी होगी, क्योंकि जब भी हिन्दु भाईयों को किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने अपने घर, मस्जिद, स्कूल आदि में न केवल-शरण दी अपितु उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी की।
प्रयागराज की जनता एवं छात्रो ने भी महाकुंभ को सफल बनाने में अपना निःस्वार्थ भाव से पूर्ण सहयोग प्रदान किया। युवा अपनी मोटरसाईकिल, स्कूटर लेकर 24 घन्टे भक्तों की सेवा करते रहे। उनको रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से लेते, गंगा जी में स्नान कराते और वापस उनके गन्तव्य स्थानो पर छोड़ देते। इन युवाओ का बहुत धन्यवाद।
महाकुम्भ का सबसे बड़ा लाभ वहाँ के होटल मालिको और उड्डयन कम्पनियों ने उठाया। जो होटल 5 हजार प्रतिदिन का शुल्क लेते थे वे 30-35 हजार प्रतिदिन का शुल्क लेने लगे, जो हवाई किराया 5-6 हजार का था, वह भी 30-35 हजार हो गया। उनके ऊपर कोई नियंत्रण नहीं हो सका परन्तु यह स्वाभाविक है।
बहुत सी समाजिक संस्थाओं ने हिन्दुओं को पुण्य का लाभ कराने के लिए देश के कोने-कोने से उनको प्रेरित किया और उनका आधे व्यय से पूर्ण व्यय भी स्वयं वहन किया। उनको भी साधुवाद है।
महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ, उसके लिए महाराज योगी जी की को बहुत-बहुत धन्यवाद। यह उनके कुशल नेतृत्व की विजय है। जैसे श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की, इसी प्रकार योगी जी ने महाकुंभ आयोजन की चुनौती स्वीकार कर अपने आगामी 7 जन्मो में ऐश्वर्य पूर्ण मनुष्य योनी निश्चत कर ली।

*योगेश मोहन*

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