भारत में पर्यावरण असन्तुलन पर न्यायपालिका की सक्रियता”

– वैंकटेश्वरा में भारत में पर्यावरण असन्तुलन पर न्यायपालिका की सक्रियता” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी |
-प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोककर पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या न्यायालय की नही, बल्कि हर नागरिक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी – श्री सुधीर गिरि, संस्थापक अध्यक्ष श्री वैंकटेश्वरा शैक्षणिक समूह |
-आइये हम सब मिलकर वृक्षारोपण कर इस धरा को हरा-भरा बनाकर आदरणीय प्रधानमंत्री जी के “क्लीन इन्डिया-ग्रीन इन्डिया” के सपने को साकार करने में अपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान दे- डा. राजीव त्यागी, प्रतिकुलाधिपति
मेरठ। आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित वैंकटेश्वरा संस्थान के स्कूल ऑफ लॉ की ओर से भारत में पर्यावरण असन्तुलन पर न्यायपालिका की सक्रियता विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शानदार आयोजन किया जिसमें दिल्ली, लखनऊ, बेंगलूरु, चंडीगढ़, उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे एक दर्जन से अधिक कानूनविदों एवं पर्यावरणविदों ने गहरी चिन्ता जताते हुए देश के प्रत्येक नागरिक से पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आने की अपील की |
श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के डा.सी.वी. रमन सभागार में “भारत में पर्यावरण असंतुलन पर न्यायपालिका की सक्रियता” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ समूह अध्यक्ष श्री सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्यागी, मुख्य अतिथि सेन्ट्रल लॉ यूनिवर्सिटी के हेड एवं कानूनविद प्रो. (डा.) एस. के. चड्ढा, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डा. विवेक सिंह, पर्यावरणविद एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में एनावयारर्मेंट लॉ के डीन प्रो. जी. के. माटा, उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता डा. श्री गोपाल नारसन, कुलपति प्रो. कृष्ण कान्त दवे, डा. मधु चतुर्वेदी ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया |
अपने सम्बोधन में मुख्य वक्ता लखनऊ सेन्ट्रल लॉ यूनिवर्सिटी के डीन एवं विख्यात कानूनविद प्रो. (डा.) एस.के.चड्ढा ने कहा कि आज भारत के महानगरों विशेष रूप से दिल्ली एन.सी.आर. में एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना ख़राब हो गया कि कामकाज व्यापार, पढ़ाई-लिखाई तो दूर की बात साँस लेना दूभर हो गया है | आज इतने बदतर हालात देखते हुए खुद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली एन.सी.आर. के सभी शिक्षण संस्थानों को तत्काल प्रभाव से बंद कराते हुए “ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था’ को फिर से शुरू कर दिया है | हालत आज लाकडाउन जैसे है, जिसके लिए हम सब जिम्मेदार है | यदि हम सब मिलकर प्रकृति संरक्षण/ संवर्धन के लिए आगे आकर काम नही करेंगे तो आने वाले समय में भयावह परिणाम होगा |
एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को पर्यावरणविद प्रो. जी.के. माटा सर्वोच्च न्यायालय के अधिष्ठाता डा. विवेक सिंह कानूनविद डा. श्री गोपाल नारसन, कुलपति प्रो. (डा.) कृष्ण कान्त दवे, एनवायरमेंटिस्ट डा. राजेश सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया |इस अवसर पर कुलसचिव डा. पीयूष पांडेय, डीन अकादमिक डा. राजेश सिंह, डा. टी.पी.सिंह, डा. दिनेश गौतम, डा. दिव्या गिरधर, डा. अनिल जायसवाल, डा. आशुतोष सिंह, डा. योगेश्वर शर्मा, डा. राजवर्धन, डा. ओमप्रकाश, डा. अश्विनी सक्सेना, डा. नीतू पंवार, डा. शिल्पा रैना एवं मेरठ परिसर से निदेशक डा. प्रताप सिंह एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा सम्मिलित रहे |

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