जब तक कलाकार कला उद्यमी नहीं बनेंगे, अपनी कला को नहीं सींच पाएंगे कृ रजत मोहन पाठक

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय के तत्वाधान में 4 से 9 अक्टूबर तक बी.एफ.ए. प्रथम वर्ष के छात्र छात्राओं की लिए सेमिनार “दीक्षारंभ“ आयोजन किया जा रहा है। जिसके क्रम में सोमवार को आयोजित सेमिनार को रजत मोहन पाठक ने संबोधित किया।

इस मौके पर होने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होने कहा कि एक अच्छा आर्टिस्ट होने के लिए जरुरी है आर्टिस्ट अपनी कला से प्रेम करें और कला में अपनी भावनाओं, विचारों को उतारें। जो कलाकार इन नियमो को अपनाएगा वही एक अच्छा आर्टिस्ट बन सकता है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में आर्ट का कमर्शियल भविष्य सोचने की जरुरत है। जब तक हम कला उद्यमी नहीं बनेंगे, हम अपनी कला को नहीं सींच पाएंगे। इसलिए कलाकार को अपनी कला से पैसा कमाने का हुनर सीखना होगा। हमारे चारों ओर आर्ट है। हम किसी भी क्षेत्र को देखे वहां आर्ट मिलेगा, बस उसे अपनी खुशी और विचार के अनुसार अपनाने की जरुरत है।

इस मौके पर मौजूद रहे लेबनान से आये अतिथि आर्टिस्ट प्रोफ़ेसर चाऊके फ्रेन ने रजत मोहन पाठक के विचारों को सराहा।

इस दौरान प्रमुख रुप से डॉ उत्तमा दीक्षित (डीन, फैकल्टी ऑफ विजुअल आर्ट बीएचयू), सुरेश के नायर (स्टूडेंट एडवाइजर एंड चेयरमैन, फैकल्टी ऑफ विजुअल आर्ट बीएचयू) सहित सौ की संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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