तीसरी पारी कांटो का ताज योगेश मोहन

तीसरी पारी: कांटो का ताज
मनुष्य योनि का मिलना पूर्व जन्म के कर्मो का प्रतिफल होता है। जीवन पर्यन्त प्राप्त होने वाली सफलता अथवा असफलता पर ग्रह-नक्षत्रों का ही प्रभाव पड़ता है। एक अशिक्षित व्यक्ति का अरबपति बन जाना तथा एक शिक्षित व्यक्ति का जीवन पर्यन्त संघर्ष करते हुए जीवन यापन करने में उसके कर्मों के साथ-साथ ग्रह-नक्षत्रों का भी योगदान होता है।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणाम भी गृह-नक्षत्रों के प्रभाव को स्पष्ट कर रहें हैं। हमारे यशस्वी व ईमानदार प्रधानमंत्री मोदी जी ने विगत 10 वर्षों तक सतत् रूप से देश व जनता के उत्थान हेतु कठिन परिश्रम, जिसके फलस्वरूप यह आशा थी कि जनता उनके उम्मीदवारों को 400 सीटों पर विजयश्री दिलाने में पूर्ण सहयोग करेगी, सम्भवतया यह जीत उनके राजनीतिक जीवन की आखरी पारी हो। परन्तु उन्हें आशानुरूप समर्थन न मिलने के कारण मात्र 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जोकि बहुमत के आंकड़े 272 से बहुत कम है। केन्द्र में सत्तासीन होने हेतु 272 का आंकड़ा आवश्यक होता है, परन्तु भाजपा का स्वयं में बहुमत के साथ विजयी न होने के कारण उन्हें टीडीपी एवं जेडीयू से सहयोग लेना आवश्यक हो गया, इन दोनों बैसाखियों के बिना केन्द्र में सरकार बनाना सम्भव नहीं थी।
दोनों ही सहयोगी बैसाखियों का चरित्र मोदी जी के चरित्र से पूर्णतया भिन्न है। जहाँ एक ओर मोदी जी हिन्दुत्व विचारधारा से युक्त नेता है, वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार एवं चन्द्रबाबू नायडू दोनो ही सहयोगी मुस्लिम तुष्टिकरण में विश्वास रखने वाले नेता हैं, इसी मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के कारण नायडू सत्तासीन हो पाये हैं। उन्होंने मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण तथा मस्जिदों की रखरखाव हेतु प्रतिमाह 5 हजार रूपये देने का वचन दिया हुआ है जोकि मोदी जी के व्यक्तित्व से पूर्णतया भिन्न है।
दूसरी बैसाखी के रूप में बिहार के नीतीश कुमार हैं, जिनकी कार्यशैली के कारण उनपर कोई भी विश्वास नहीं करता, इसीलिए वे पलटूराम के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। केन्द्र सरकार को निर्मित करने के एक प्रमुख अंग होने के कारण नीतीश कुमार की अनेक इच्छाएं हैं, यथा – बिहार को एक विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना, समान नागरिक संहिता तथा अग्निवीर योजना की समीक्षा आदि, इन विषयों पर उनका रूझान मोदी जी से पूर्णतया भिन्न है। इसके अतिरिक्त वे प्रधानमंत्री पद के भी अभिलाषी हैं। दोनों बैशासी स्वरूप पार्टियों तथा मोदी जी की विचारधारा में पूर्णतया भिन्नता है, अब चिंतन का विषय यह है कि केन्द्र सरकार बनने के पश्चात इन तीनों केन्द्र बिन्दुओं की विचारधारा प्रमुख विषयों पर एकमत कैसे हो पायेगी।
मोदी जी ने जनता को चुनावों से पूर्व पीओके को स्वतंत्र कराने का जो वचन दिया था, अब जनता उस वचन के पूर्ण होने का व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रही है। भारत का प्रत्येक नागरिक भी यह चाहता है कि किसी भी प्रकार से पाकिस्तान का दमन होकर पीओके भारत का एक अभिन्न अंग शीघ्रातिशीघ्र बन जाए। यदि ऐसा सम्भव हो पाया तो जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के पश्चात भी जो शांति स्थापित नहीं हो पा रही है, वो निकट भविष्य में अवश्य ही स्थापित हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त भारत देश में अन्य समस्याएं, यथा – बेरोजगारी, मंहगाई और व्यापारी वर्ग पर जीएसटी के प्रतिशत का अधिक होना आदि हैं। 18वीं लोकसभा चुनावों में व्यापारीवर्ग ने इस आशा से मोदी जी को उन्मुक्त हृदय से सहयोग दिया था कि वे जीसटी के प्रतिशत को अवश्य ही कम कर देंगे, यदि व्यापारीवर्ग की आशानुरूप कार्य नहीं हुआ तो आगामी विधानसभा चुनावों में ये वर्ग भी उनसे विमुख हो जाएगा।
अब मोदी जी के समक्ष उपरोक्त समस्त समस्याओं का समाधान एवं बैसाखियों को नियन्त्रण में रखने की चुनौती है अर्थात् उन्हें अपने मुकुट की शोभा के बाधक तत्व स्वरूप समस्त कांटो को हटाना होगा तभी उनका नेतृत्व स्वरूपी मुकुट फूलों के ताज स्वरूप हो पायेगा।

योगश मोहन

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