रावण की ससुराल में टीवी के राम

रावण की ससुराल में अरूण गोविल

राजनीति में कुटिल रणनीति, कठिन परिश्रम एवं अन्य घटको के साथ-साथ भाग्य का भी अत्यधिक योगदान होता है। मनुष्य के सितारों का सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष उसे फर्श से अर्श तथा अर्श से फर्श तक पहुँचाने में अधिक विलम्ब नहीं करता। भाग्य के साथ न होने पर मुख के समीप पहुँचा अन्न का दाना भी हम गृहण नहीं कर पाते। ऐसा ही कुछ, भाजपा के मेरठ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में प्रतिभागी बनने की अकांक्षा से युक्त राजनीतिज्ञो के साथ हुआ। चुनावी प्रक्रिया के आरम्भ होने से पूर्व जहाँ मेरठ क्षेत्र के तीन भाजपा विधायक लोकसभा चुनाव में स्वयं के भावी उम्मीदवार के रूप में चयनित हेतु पूर्णतया आश्वस्त थे और उनके परिवार वालों को इस सन्दर्भ में मात्र औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा थी, परन्तु श्रीराम की छवि से ओतप्रोत अरूण गोविल का पुष्पक विमान से आकर मेरठ क्षेत्र की उम्मीदवारी प्राप्त करना स्थानीय भावी उम्मीदवारों के लिए कटु अनुभव के सदृश था । ऐसी स्थिती में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ से सांसद बनने का स्वप्न देखने वाले प्रत्याशियों में निराशा का उत्पन्न होना स्वाभाविक था।
अरूण गोविल के राजनीति में आगमन से से मेरठ संसदीय सीट का चुनाव रोचक हो गया है, क्योंकि विगत लोकसभा चुनाव में श्री राजेन्द्र अग्रवाल जी ने इस सीट पर बहुत कम वोटो के अन्तर से विजयश्री प्राप्त की थी और तब यह चुनाव मात्र हिन्दु-मुस्लिम के मध्य होकर ही रह गया था। विगत चुनाव के इतर इस बार किसी भी दल ने मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। बसपा ने जहाँ इस बार मुस्लिम प्रत्याशी के स्थान पर देवव्रत त्यागी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, वहीं कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन से सुनीता वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे इस सीट पर द्वंद त्रिकोणीय होने की सम्भावना उत्पन्न हो गई है। विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा जोकि मेरठ की महापौर रह चुकी हैं साथ ही वे दलित समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसके आधार पर यह आंकलन किया जा रहा है कि अधिकांश दलित वोट सुनीता वर्मा के समर्थन में पड़ने की सम्भावना है। मुस्लिम समाज का समर्थन विगत लोकसभा चुनाव की भांति बसपा प्रत्याशी को प्राप्त होगा अथवा सुनीता वर्मा को यह अभी निश्चित नहीं है। भाजपा के परम्परागत वैश्य वोट अरूण गोविल को मिलने की अधिक सम्भावना है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि पार्टी के संघठित कार्यकर्ता भी उनकी उम्मीदवारी के प्रति पूर्ण समर्पण एवं निष्ठा से प्रचार कार्य करें तो अरूण जी के लिए यह सीट प्राप्त करना कठिन नहीं होगा। इस सीट से विगत सांसद श्री राजेन्द्र अग्रवाल जी ने स्थानीय नेता के रूप में क्षेत्र की जनता के लिए सदैव उपलब्ध रहते थे तथा उनके सुख-दुख में साथ देने हेतु तत्पर रहते थे। अतः अरूण जी को यहाँ की जनता के हृदय में उसी प्रकार का विश्वास उत्पन्न करना होगा। चुंकि अरूण जी बाहरी प्रत्याशी हैं, अतः जनता के मध्य इस संशय को दूर करने की जिम्मेदारी अरूण जी पर निर्भर करती है तथा उनके द्वारा जनता के मध्य विश्वास उत्पन्न करना होगा कि वे सदैव उपलब्ध रहेंगे, इसी तथ्य पर उनकी हार-जीत निर्भर करेगी। उपरोक्त आंकलन के आधार पर कहा जा सकता है कि अब मुकाबला अत्यधिक रोचक होगा, यह निश्चित है।
अन्त में मात्र उपहास के लिए कल्पना करते हैं। जैसे इतिहास स्वयं को दोहराता है उसी के अन्तर्गत सुनीता जी को सुश्री मन्दोदरी की आत्मा मानते हैं, वहीं अरूण गोविल जी को श्री राम की आत्मा। अब देखना यह है कि श्रीराम पुनः विजयश्री प्राप्त करते हैं अथवा मन्दोदरी अपना प्रतिशोध लेने में सफल होती है। यह निश्चित है कि इस बार जीत बहुत बड़ी होगी। चुनावी विश्लेषकों का अनुमान है कि इस बार विजयी प्रत्याशी की जीत का अन्तर 2 लाख से भी अधिक वोटो का होगा, यह निश्चित है।

*योगश मोहन*

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