योगेश मोहन
मेरठ : यह एक निर्विवाद सत्य है कि आज चीन, आर्थिक, औद्योगिक, रक्षा, तकनीकी, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में विश्व की एक अत्यधिक वृहद महाशक्ति बन चुका है। उसके पास ऐसे खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं, जिनके द्वारा वो किसी भी देश के समक्ष संकट उत्पन्न कर सकता है। चीन को गर्व है कि उसके यहाँ भ्रष्टाचार का स्तर शून्य है। परन्तु वह अपनी विस्तारवादी एवं नकारात्मक प्रवृत्ति के कारण भारत, ताइबान, जापान आदि पड़ौसी देशों के समक्ष निरन्तर समस्या उत्पन्न करता रहा है।
चीन ने अपनी विस्तारवादी प्रवृत्ति के कारण भारत के निकटस्थ क्षेत्रों पर अपनी कुदृष्टि लगा रखी है, इसलिए वो पाकिस्तान को पूर्णरूपेण सहायता प्रदान कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी उसके रक्षा विशेषज्ञ व अधिकारी पाकिस्तान को पूर्णतया निर्देशित करते रहे। वर्तमान समय में चीन, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बन चुका है। उसने यह भी निर्णय लिया है कि वह पाकिस्तान को अत्याधुनिक विकसित फाइटर जेट J-35A, जो एक अदृश्य विमान है और किसी भी रडार की पकड़ में आना असम्भव है, ऐसे 35 विमान आगामी दो माह में आधी कीमत पर पाकिस्तान को सौंप देगा तथा PL-17, मिसाइल जिसकी रेंज 400 किलोमीटर है, को भी पाकिस्तान को दे देगा। अर्थात् अगस्त माह के अन्त तक पाकिस्तानी एयर फोर्स विश्व की श्रेष्ठता की श्रेणी में चतुर्थ एयर फोर्स बन जाएगी।
पाकिस्तान के साथ हुए विगत अल्पकालीन युद्ध में हमने देखा कि हमारे राफेल विमान, पाकिस्तान के चीन द्वारा निर्मित J-35A का सामना करने में असक्षम रहे। हमारे पास श्रेष्ठ आपूर्ति का अब एक ही मार्ग शेष है कि हम अमेरिका से F-35 विमान क्रय करें, परन्तु ऐसा करने पर भी दो समस्याएं हमारे समक्ष हैं। प्रथम – अमेरिका, हमें उसकी आपूर्ति अगामी दो माह में किसी भी प्रकार नहीं करा पायेगा, द्वितीय – फ्रांस ने हमको जितना विश्वास दिलाया था, उस कसौटी पर वह पूर्णतया खरा नहीं उतर सका। इस समय पाकिस्तान के पायलेट, चीन में उनके प्रशिक्षकों से गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें हैं। यह प्रशिक्षण किस उद्देश्य से प्राप्त किया जा रहा है, यह सर्वविदित है। चीन का अग्रिम उद्देश्य यह होगा कि अगस्त अथवा सितम्बर माह में पुनः भारत-पाक युद्ध हो जाए। ऐसा होने पर चीन को दो लाभ प्राप्त होंगे। प्रथम – वह अपने हथियारों का विश्व के समक्ष प्रदर्शन कर पायेगा, जिससे उनकी विश्व में मांग बढ़ेगी और वह अपने शस्त्रों का स्वेच्छापूर्ण मूल्य प्राप्त कर पायेगा। द्वितीय – उसकी यह भी अपेक्षा रहेगी कि भारत, पाकिस्तान के साथ युद्ध में लिप्त होकर असहाय हो जाए, ताकि वह भारत का लद्दाख और गलवान की घाटी में दमन कर सके।
भारत के पास चीन से रक्षा हेतु एकमात्र उपाय यह है कि वह स्वयं को शक्तिसम्पन्न करें और अमेरिका से F-35 विमान एवं B-3 Sentry शीघ्र क्रय करे और AWACS लीज पर लेकर उनका डेटा राफेल से लिंक करके पाकिस्तान के J-35A का सामना करें। परन्तु क्या अमेरिका AWACS लीज पर देगा, यह एक यक्ष प्रश्न है। इसी प्रकार हमें रूस से सुखोई SU-57 शीघ्रता से प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। भारत के लिए चीन-पाक के षडयंत्र से स्वयं को बचाना, एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है, जिसका कूटनीतिपूर्ण ढंग से ही निस्तारण हो पाएगा। हमारा यह पूर्ण विश्वास है कि इस असम्भव कार्य को सम्भव करने की क्षमता एकमात्र हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी में है।
योगेश मोहन