नीट एग्जाम का घोटाला ब्लैक एंड व्हाइट

नीट एग्जाम का घोटाला
ब्लैक एंड व्हाइट

मित्रों, आप मूल बात पर जाएं.. दो केंद्रों पर.. प्रश्नपत्र देर से बंटा. 45 मिनेट. क्योंकि हिंदी वाले छात्रों के पास अंग्रेजी वाला प्रश्न पत्र पहुंच गया.. लेकिन.. बच्चों से कॉपी उसी समय ले ली गयी. जिस समय पूरे राष्ट्र में पेपर समाप्त करने का समय निर्धारित किया गया था… और उस समय की भरपाई, एवज में ग्रेस मार्क्स दे दिए गए..

ये तो बहुत अजीब निर्णय था NTA का, कारण आगे बताऊंगा, और आधार बनाया गया सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने निर्णय को.. जब ऐसी ही परिस्थिति में पूर्व में बच्चे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.. लेकिन.. सुप्रीम कोर्ट ने वह निर्णय उस परिस्थितियों के संबंध में दिया था.. वह प्रोस्पेक्टिवे रिलीफ नहीं था. रिट्रोस्पेक्टिव रिलीफ था।
ऐसा कहीं नहीं था निर्णय में कि आप इसे रोकने का प्रयास न करें कि ऐसी स्थिति आ जाये..

अब मूल मुद्दे पर आओ..
NTA के लिए कितना आसान था.. कि यदि कहीं पेपर वितरण में किसी कारण से, किसी सेंटर में, देरी हो गयी है.. तो भाई उतना समय एक्स्ट्रा दे दो.. एक्स्ट्रा ग्रेस मार्क क्यों..??. बच्चे तो एग्जाम रूम में ही बैठे हैं.??..!!
और कोई उंगली नहीं उठता..
समय की भरपाई.. ग्रेस मार्क से क्यों कि गयी.??
जबकि समय की भरपाई.. उन दो सेंटर पर.. समय से ही कि जा सकती थी.!!
यह निर्णय किन अधिकारियों ने उस समय लिया.. जब मात्र 45 मिनेट के अंतर से सभी बच्चे, परीक्षा दे रहे थे.??.!@

लेकिन यह न करके सामान्य रूप से एग्जाम की समाप्ति पर बच्चों से Omr और पेपर ले लिया गया..
क्यों.????
यह समस्या है.. और घोटाले का यही आधार भी है. इसकी CBI जांच हो और इस परीक्षा को निरस्त कर, फिर से परीक्षा कराई जाए।
NTA के जिन अधिकारियों ने ये घोटाला किया हैं, वही इस पर लीपापोती कर रहे हैं.. कि हमने तो सुप्रीम कोर्ट की जो पिछली GUIDELINE थी उसका अनुपालन किया..
यही घोटाला का मुख्य बिंदु है..
यही पेंच है।
सब बंधु इस पर आवाज उठाएं..
और बच्चों को न्याय मिले.. एकजुट हो।

डॉ मुकेश परमार वरिष्ठ सर्जन मेरठ

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