लोकसभा के 4 चरणः क्या 400 के पार
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों का चौथा चरण सम्पन्न हो चुका है। भारत देश के लोकतंत्र एवं जनता के लिए यह अत्यन्त गर्व का विषय है कि इन चुनावों में जनता के मध्य किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई है। उन्होंने जितनी अधिक शालीनता का प्रदर्शन किया है, वह अत्यधिक प्रशंसनीय है। इसके विपरीत राजनेताओं के आचरण में इतनी अधिक अभद्रता प्रदर्शित हो रही है, जिसका वर्णन करना सम्भव नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी पाजपेयी जी का कथन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यधिक सटीक प्रतीत हो रहा है कि चुनाव के दो पहलू हार अथवा जीत होते हैं, परन्तु हमें किसी भी परिस्थिति में अपनी संस्कृति अथवा मर्यादा को विस्मृत नहीं करना चाहिए। परन्तु वर्तमान राजनीति में राजनेतागण भारतीय संस्कृति का परित्याग कर परस्पर अपशब्दों का प्रयोग कर रहें हैं तथा नेताओं के पारिवारिक इतिहास की चर्चा व्यंगपूर्ण तरीके से की जा रही है।
खेल जगत के अन्तर्गत खिलाड़ियों में यह भावना विकसित की जाती है कि वे प्रतिद्वद्वी टीमों के प्रतिभागियों के प्रति सम्मान, सौहार्द, प्रेम की भावना को अक्षुण्ण बनाए रखेगें। इसके विपरीत परिस्थिति होने पर वातावरण दूषित हो जाता है। राजनैतिक चुनावों में राजनेताओं को एक खिलाड़ी के सदृश प्रतिभागी होना चाहिए, परन्तु भारत के राजनेताओं ने चुनाव को महाभारत के युद्ध सदृश बना दिया है, जिसके अन्तर्गत सभी नियम अथवा परम्पराएँ तोड़ दी जाती हैं।
मोदी जी अपने 10 वर्षों के कार्यकाल के पश्चात इस बार यह अपेक्षा रखते हैं कि वे 400 से अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करेगें। परन्तु इस दृढ़ निश्चिय को पूर्ण करने में उन्हीं के कुछ सहयोगी जनता के मध्य यह भ्रम उत्पन्न कर रहें है कि यदि मोदी जी 400 से अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करते हैं तो संविधान में परिवर्तन किया जाएगा, जबकि जनता डाक्टर भीमराव अम्बेडकर के द्वारा निर्मित संविधान में परिवर्तन कदापि नहीं चाहती। मोदी जी की अपेक्षाओं के प्रति दूसरा व्यवधान का पक्ष यह भी है कि उन्हीं के कुछ भस्मासुर यह षडयंत्र रच रहें हैं कि वे इन चुनावों में 200 से अधिक सीटों पर विजय प्राप्त न कर सकें। यहाँ यह कहावत अत्यंत उपयुक्त है कि घर में छिपे भस्मासुर बाहर के विपक्षियों से अधिक हानिकारक होंते हैं। इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के अन्तर्गत भस्मासुर के रूप में छुपे हुए उन्हीं के अपने सहयोगी हैं। परन्तु माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी, इन भस्मासुरों का संज्ञान होने पर भी अपने विशाल हृदय के कारण उनपर कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते।
दक्षिण भारत में मोदी जी की लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जिससे उनको आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ राज्यों में अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होने की सम्भावना है, जोकि उत्तर भारत में उनके निकटस्थ भस्मासुरों के द्वारा की गयी हानि की क्षतिपूर्ति होगी।
प्रधानमंत्री मोदी जी की नित्प्रतिदिन चुनावी सभाओं, रैलियों का लाभ उन्हें अवश्य ही मिलने की सम्भावना है। हमें ऐसा पूर्ण विश्वास है कि वे अपने अथक प्रयासों से अपने दल के नेतारूपी भस्मासुरों का अवश्य ही भस्म करके अपनी सफलता की मंजिल को अवश्य ही प्राप्त कर लेंगे।
*योगश मोहन*