हाल-ए-विपक्ष-2024: रालोद
के.पी. मलिक, दैनिक भास्कर
चौ. अजित सिंह के समय में उनकी कोठी के दरवाजे खुले रहते थे, जो चाहे, जब चाहे चला जाए, वे उससे मिलते जरूर थे। दूसरा, उनसे फोन पर आसानी से बात हो सकती थी। फोन ना मिले तो कॉल बैक जरूर करते थे। अक्सर फोन पर कार्यकर्ताओं का हाल चाल लेते रहते थे। समय-समय पर पत्रकारों, अन्य नेताओं से भी राय मशवरा करते रहते थे। याद रहे वे देश के बड़े राजनेता थे, 80 के दशक में तो उनकी तूती बोलती थी, कई बार सांसद और मंत्री रहे, परंतु कार्यकर्ताओं के लिए बहुत ही सुलभ रहते थे। कोठी पर मिलने वालों का तांता लगा रहता था। उन्हें लोगों से मिलने में आनंद आता था।
अब रालोद सुप्रीमों जयंत चौधरी के वसंत कुंज फार्म हाउस में केवल अति विशिष्ट अतिथि ही मिल सकते है वो भी उनसे समय लेकर या जिसे जयंत ने अपने किसी काम से खुद बुलाया हो। जयंत कार्यकर्ताओं का फोन बिरले ही उठाते हैं, कोई कॉल बैक नहीं करते, इंडिया गेट स्थित कोठी पर आने या मिलने का कोई निश्चित समय नहीं होता। किसी दिन आए तो आए नहीं तो हफ्तों तक पता नहीं। उनकी पार्टी के बड़े नेता भी मिलने के लिए हफ्तों बाट देखते रहते हैं। चुनाव से पूर्व टिकट वितरण के दौरान तो मिलना लगभग असंभव हो जाता है। इस समय कुछ दलाल जरूर सक्रिय हो जाते हैं, उन्हीं की जयंत तक पहुंच होती है। ऐसी सूरत में पार्टी कैसे चलेगी? मोदी की भाजपा का सामना कैसे करेंगे।
(रालोद नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा फीडबैक के आधार पर)
