एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे पत्रकार तो फिर मीडिया के कमजोर होने का जिम्मेदार कौन ?
गौहर अनवार
राष्ट्रीय, दैनिक, मासिक, पाक्षिक तथा सप्ताहिक समाचार-पत्रों व न्यूज़ चैनल के पत्रकार बंधुओं के लिए यह एक सोचने का विषय है, आखिर हमारी गिरती साख का जिम्मेदार कौन है ? जिसके कारण देश का चौथा स्तंभ कहलाने वाला पिलर लगभग इतनी जर्जर हालत में आ चुका है जिसे जब जिसका मन चाहे हिलाने की कोशिश कर देता है, यानी की कब कौन से पत्रकार बंधु उन लोगों का शिकार बन जाए जो पहले कोई भी गलत कार्य करने से पहले 100 बार सोच लेते थे कहीं मीडिया को पता न चल जाए लेकिन आज उनके हौसले बुलंद हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण हमें आए दिन किसी न किसी माध्यम से मिल जाता है जब पता चलता है कोई पत्रकार किसी हमले का शिकार हुआ या फर्जी मुकदमा लगने के बाद जेल पहुंच गया। लेकिन अपने उस साथी के अधिकारों की लड़ाई लड़ने की जगह हम या तो खुश होकर रह जाते हैं या फिर मौन हैं, हमें अपने उस साथी के साथ हुए अन्याय का दुख नहीं है शायद अपनी बारी के इंतजार में बैठे हुआ हैं ? चौथे स्तंभ के नाम पर मीडिया और पत्रकारों का मखौल उड़ाया जा रहा है।आज के युग में मीडिया तीन भागों में बांट दिया गया है प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया।इन तीनों मीडिया के बीच एक और मीडिया है जो इन तीनों मीडिया को बदनाम करने के लिए अकेले सब पर भारी है जिसको आप और हम दलाल मीडिया कह सकतें हैं।जिनको खबरों से कुछ लेना-देना नहीं होता है देश के प्रति समाज के प्रति इनका कोई रुझान नहीं होता।लेकिन इनका भौकाल देख कर शासन प्रशासन भी गुमराह हो जायेगा। उनकी बड़ी बड़ी बातें नेता विधायक, सांसद, मंत्री, व प्रशासनिक अधिकारी तथा पुलिस अधिकारियों के साथ सेल्फ़ी, महंगे सूट-बूट पहने अक्सर ये किसी न किसी कार्यालय में मिल जायेंगे।और जान पर खेल कर एक ख़बर लिखने वाले पत्रकार पर अपना प्रभाव दिखा कर रौब झाड़ेंगे ख़ास कर उस पत्रकार से जो निष्पक्ष पत्रकारिता करके इमानदारी से देश और समाज की सेवा करता है।कहीं वो डिजिटल मीडिया का स्वतंत्र पत्रकार हो तो उसे और दबाने की कोशिश करेंगे और अपने आकाओं को बताएंगे की ये यूट्यूबर है।ऐसे दलाल, तथाकथित पत्रकारों की पकड़ थाने चौकी पर बहुत बढ़िया से होती है जिससे चौकी प्रभारी, थाना प्रभारी, निरीक्षक , क्षेत्राधिकारी और पुलिस अधीक्षक ऐसे दलाल,तथाकथित पत्रकारों के कहने से बड़ी आसानी से उस निष्पक्ष, ईमानदार, निर्भीक पत्रकार पर फर्जी मुकदमा दर्ज करके अपमानित कर जेल और न्यायालय का रास्ता दिखा देते हैं।इन्हीं तथाकथित दलाल पत्रकारों के कारण प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया का आपसी तालमेल भी नहीं बैठ पाता। जिसके कारण शायद आज ख़बर का असर भी बहुत कमी से देखने को मिलता है। जबकि पत्रकार वही होता है जो आमजन की आवाज़ बनाकर खबरों से रुबरु कराता हो।वो अखबार में छपी हो या टीवीए चैनल पर चली हो या फिर डिजिटल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो।पत्रकार वो नहीं होता जो बाइक या कार पर प्रेस लिखवा ले गले में आई कार्ड डाल ले और चौकी, थानों, नगर निगम, एमडीए, रेलवे, ट्रैफिक, आर टी ओ जैसे विभागों में दिखे और दलाली करे लेकिन उनकी ख़बरें कभी पढ़ने या देखने को न मिले।ऐसे लोग सही पत्रकार को नीचा दिखाने के लिए डिग्री की बात करेंगे पहनावा कद काठी की बात करेंगे और अपने आपको सबसे बड़े बैनर का पत्रकार बता कर शासन प्रशासन को गुमराह करके एक अच्छे पत्रकार को बदनाम करेंगे तथा समाचार-पत्रों के स्वामी और सम्पादक द्वारा नियुक्त किया गया व्यक्ति (पत्रकार)को आज के भ्रष्ट प्रवृत्ति के पुलिस अधिकारी -दरोगा, निरीक्षक व क्षेत्राधिकारी खरीद नहीं पाते तो उसे तथाकथित पत्रकार लिख देते हैं।हमें ऐसे भ्रष्ट लोगों से सावधान रहें सुरक्षित रहें।जो वाकई में देश के लिए, समाज के लिए सच्ची पत्रकारिता करता हैं उस पत्रकार का सम्मान करें तभी मीडिया जगत और पत्रकार मजबूत होगा और आपको निष्पक्ष सच्ची खबरें मिलती रहेंगी। वरना यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आये दिन पत्रकारों के साथ हो रहे हादसे, उनके उत्पीड़न की खबरें हमारी आपसी फूट के कारण रोज़ देखने और पढ़ने को मिलेंगी। और हम इसी सोच में रह जाएंगे की देश के चौथे स्तंभ को जर्जर हालत में पहुंचने का जिम्मेदार हम में से कौन है ?