सड़क किनारे सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण पर ब्रेक…चारमंजिला ढांचे की नींव पर चला आवास विकास का हथौड़ा…India One News की खबर का असर

सड़क किनारे सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण पर ब्रेक…चारमंजिला ढांचे की नींव पर चला आवास विकास का हथौड़ा…India One News की खबर का असर

अवैध निर्माण पर आवास विकास का हथौड़ा
गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में आवास विकास प्राधिकरण की टीम ने सड़क किनारे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर किए जा रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई की है। वसुंधरा के सेक्टर-17C में फ्लैट संख्या 301, 307, 313 और 319 में नीचे से ऊपर तक एक साथ प्राधिकरण की जमीन पर कब्जा कर पिलर के सहारे चारमंजिला अवैध एक्सटेंशन के कार्य को रोक दिया गया है। मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद प्राधिकरण के आला अफसरों के आदेश पर आवास विकास की एक टीम ने मंगलवार को इस अवैध निर्माण की नींव पर हथौड़ा चलाया। बताया जा रहा है कि यहां पिछले 3 महीने से अवैध रूप से चारमंजिला ढांचा खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। India One News ने इस अवैध निर्माण की खबर सबसे पहले 10 सितंबर 2024 को प्रमुखता से दिखाया था। इसके बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने यहां काम तो रुकवा दिया था लेकिन अवैध कॉलम को नहीं हटवाया गया था। इस कारण अवैध कब्जा करने वाले अतिक्रमणकारी इसी कॉलम पर फिर से निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं। अब देखना ये है कि इस कार्रवाई के बाद भी ये अवैध निर्माण रुकता या नहीं।

क्या अतिक्रमणकारी फिर से करेंगे अवैध निर्माण?
दिलचस्प तो ये है कि आवास विकास के आला अफसरों के संज्ञान में होने के बावजूद पिछले 3 महीने में 3 बार इस अवैध निर्माण को फिर शुरू करने का प्रयास किया गया। बताया जा रहा है कि आवास विकास में शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी इस तरह के अवैध कब्जे को किसी भी हाल में रोकना तो चाहते हैं लेकिन विभाग में ही तैनात कुछ जूनियर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाते हैं। सूत्रों की मानें तो इस अवैध निर्माण के पीछे भी आवास विकास के एक जूनियर इंजीनियर समेत कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत है, जो अवैध कब्जा करने वालों को कुछ दिनों के लिए काम रोक करने की सलाह देकर फिर से अवैध निर्माण करने की छूट दे देते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इस अवैध निर्माण में लाखों का खेल हुआ है। हालांकि Ondia One News इसकी पुष्टि नहीं करता है। क्यों नहीं होती अवैध निर्माण पर मॉनिटरिंग
आखिर आवास विकास में वो कौन लोग हैं, जो अवैध कब्जा करने वालों को अतिक्रमण कर अवैध निर्माण की छूट देते हैं। बताया जाता है कि अन्य मामलों की तरह आवास विकास ने इस केस में भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर अपनी खानापूर्ति कर दी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या आवास विकास के अफसर सिर्फ अवैध निर्माण का नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा सकते हैं? और अगर हां तो ये रिश्वत लेकर अवैध निर्माण की गारंटी भी हो सकती है। आवास विकास के दफ्तर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर हो रहा ये चारमंजिला अवैध निर्माण सरकारी मशीनरी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सवाल ये भी उठता है कि आखिर आवास विकास के पास अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए कोई मॉनिटरिंग क्यों नहीं हैं?

अफसरों को नहीं है सीएम के आदेश की चिंता
आपको बता दें कि यूपी आवास विकास परिषद आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अंतर्गत्त आता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये विभाग खुद अपने पास रखा हुआ है। अवैध निर्माण, अवैध कब्जे और भू-माफियाओं के खिलाफ सीएम योगी ने हमेशा से जीरो टोलेरेंस की नीति अपना रखी है और समय-समय बड़ी कार्रवाई भी हुई है। लेकिन गाजियाबाद के पॉश एरिया वसुंधरा में सड़क किनारे सरेआम अवैध निर्माण की अनदेखी करना कहां तक जायज है? इसका जवाब आवास विकास परिषद के अफसरों को देना ही चाहिए। हमारी ओर से इस संबंध में कई बार आवास विकास के अफसरों से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन न तो किसी ने फोन कॉल उठाया और न ही किसी ने व्हाटसेप मैसेज का कोई जवाब दिया। बताया जा रहा है कि इस प्रकरण से जुड़ा एक शिकायती ई-मेल प्राधिकरण के लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक के आला अफसरों को और मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजा गया है। हादसे की जिम्मेदारी लेंगे अफसर
विशेषज्ञों की राय में बनी बनाई बिल्डिंग के साथ इस तरह के अवैध निर्माण से पूरी बिल्डिंग को खतरा हो सकता है। नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में इस तरह से बनाई बिल्डिंग के ढहने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसे बावजूद इस तरह की अवैध गतिविधियों को सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में जारी रखना गंभीर चिंता की बात है। आपको बता दें कि पिछले एक दशक में पूरे एनसीआर में अवैध निर्माण की वजह से हुई दुर्घटनाओं में कई मकान जमींदोज हो चुके हैं और सैकड़ों लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। फिर भी अवैध निर्माण का ये सिलसिला सरकारी संरक्षण में बदस्तूर जारी है।

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