एनआरसी में भर्ती बच्चों की निगरानी करेगा आईसीडीएस

सीडीपीओ, सुपरवाइजर व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निभाएंगे जिम्मेदारी डीएम व सीडीओ का निर्देश एनआरसी में बच्चों का हो पूरा उपचार डीएम व सीडीओ की पहल पर किया गया प्रयोग रहा सफल, अब स्थाई होगी व्यवस्था। 

मेरठ, 23 फरवरी 2023। पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम)बच्चों का पूरा और सही उपचार हो, इसके लिए एकीकृत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) बड़ी जिम्मेदारी निभाएगा। विभाग की ओर से बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तब तक बच्चे की निगरानी करेंगे जब तक एनआरसी में उसका कोर्स पूरा नहीं हो जाता। आईसीडीएस के अधिकारी न केवल बच्चों के उपचार का प्रबंध करेंगे बल्कि माता-पिता पर भी नजर रखेंगे कि कहीं वह आधा—अधूरा उपचार कराकर बच्चे को लेकर घर वापस न चले जाएं।
मेरठ जनपद में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना पर काम किया गया, जो काफी हद तक सफल रहा। इस बीच माता-पिता ने कुपोषित बच्चों का 14 दिन का कोर्स पूरा कराने में पूरा सहयोग किया। मेरठ में यह प्रयोग जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी की पहल पर किया गया। दोनों अधिकारियों का स्पष्ट निर्देश है कि एनआरसी में गंभीर तीव्र अतिकुपोषित बच्चों का पूरा उपचार हो।

गौरतलब है कि आर्थिक व अन्य कारणों के चलते सैम बच्चों के माता-पिता उनका पूरा उपचार नहीं कराते हैं, वह आधा—धूरा उपचार कराकर बच्चे को घर ले जाते हैं, जिससे बच्चा कुपोषण से उबर नहीं पाता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया- जिला अस्पताल में एनआरसी वार्ड है,जिसमें दस बिस्तर हैं। वहां पर गंभीर तीव्र अति कुपोषित बच्चों को उपचार के लिए 14 दिन तक रखा जाता है। उन्होंने बताया यह देखने में आ रहा था कि एनआरसी में भर्ती बच्चे को लेकर उसके माता-पिता चार पांच दिन बाद चले जाते थे। इसके कारण उनका 14 दिन का कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा था। जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर एक पायलट प्रोजेक्ट आरंभ किया गया, जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र से आंगनबाड़ी, सुपरवाइजर व सीडीपीओ की ओर से सैम बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया।14 दिन तक बच्चों को यहां भर्ती रखा गया। क्षेत्र की आंगनबाड़ी और सुपरवाइजर इस बीच लगातार बच्चे के माता-पिता को उपचार पूरा कराने के लिए समझाते रहे। हर दूसरे दिन भ्रमण कर सीडीपीओ भी बच्चे व उनके माता-पिता का हालचाल पूछते रहे। उन्होंने बताया-आईसीडीएस विभाग की निगरानी का असर यह हुआ कि बच्चों के उनके माता-पिता उपचार अधूरा छोड़ कर नहीं गये। उन्होंने बताया- इस प्रयोग को डीएम दीपक मीणा व मुख्य विकास अधिकारी शंशाक चौधरी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन ने काफी सराहा है। इस प्रयोग को पूरे प्रदेश में लागू कराने के लिये शासन को पत्र लिखा गया है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया-एनआरसी ऑक्यूपाइड नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, इस ग्रुप से जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी व सीएमओ भीजुड़े हैं। तीनों अधिकारी प्रतिदिन मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि कब कौन बच्चा भर्ती कराया गया। कब  उसे छुट्टी मिली।सीडीपीओ, सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी के एनआरसी भ्रमण की जानकारी इसी ग्रुप में शेयर की जाती है। ग्रुप में यह भी जानकारी उपलब्ध रहती है किकितने बच्चे एनआरसी में भर्ती कराए गये और कितने और कराये जाने हैं। उन्होंने बताया इस नवीन प्रयोग के दौरान 22 बच्चों को पूरा उपचार मिला। अभी जिले में करीब 103 सैम बच्चे हैं जिन्हें भर्ती कराने की जरूरत है। उन्होंने बताया- बच्चे के साथ एनआरसी में रहने वाली मां अथवा पिता को प्रति दिन ₹100 दिये जाते हैं यह रकम उसके खाते में सीधे भेजी जातीहै।
एनआरसी के नोडल अधिकारी डॉ. श्री राम ने बताया- एनआरसी में एक डाइटीशियन दो स्टाफ नर्स हर समय रहती हैं। यहां बच्चों को उपचार का पूरा प्रबंध है।

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