शोभित विश्वविद्यालय मेरठ में न्यू एज मोबिलाइजेशन सोसायटी दिल्ली के सहयोग से अभिसरण, कार्यान्वयन और विज्ञान अनुसंधान के विस्तार पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य समापन किया गया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन 8 टेक्निकल सेशन का आयोजन किया गया जिसमें वेटरनरी साइंस, हॉर्टिकल्चर एग्रोफोरेस्ट्री, पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नॉल्जी, एनवायरनमेंट साइंस आदि विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्य अतिथि आईसीएआर, आईआईएफएसआर के निदेशक डॉ सुनील कुमार रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह एवं शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एपी गर्ग को जेसी भारद्वाज मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया, इसके अलावा शोभित विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी निदेशक डॉ अशोक कुमार को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड इन मैनेजमेंट, डॉ स्वतंत्र सिंह चौहान को एक्सीलेंस अवॉर्ड इन एंटरप्रेन्योरशिप, डॉ अभिषेक डबास को एक्सीलेंस अवार्ड इन पब्लिक रिलेशन 2023 तथा डॉ अनुज गोयल को एक्सीलेंस अवार्ड इन रिसर्च से सम्मानित किया गया। इसके अलावा नेशनल इन्नोवेशन इन एग्रोनॉमी अवार्ड डॉ विवेक भारद्वाज डीन सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मेरठ, एक्सीलेंस इन रिसर्च अवॉर्ड डॉ आरती मिश्रा एवं डॉ अमित नाथ को दिया गया। आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवॉर्ड डॉ सत्य प्रकाश, डॉ गजे सिंह, डॉ वेदप्रकाश एवं डॉ पंकज चौहान को दिया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि एवं कुलपति, प्रति कुलपति प्रो डॉ जयानंद एवं कुलसचिव द्वारा दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शोविनियर रिलीज किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए पी गर्ग ने अपने समापन संबोधन में शोध छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें पृथ्वी को टिकाऊ बनाने के लिए पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए स्मार्ट कृषि आवश्यक है और बाजरा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और सूखे सहित विभिन्न जलवायु में इनकी खेती की जा सकती है। भारत कृषि के क्षेत्र में काफी बेहतर कर रहा है लेकिन इसमें काफी संभावनाएं हैं और हम पूरी दुनिया का पेट भर सकते हैं। जल एवं मृदा उर्वरता प्रबंधन सहित सभी वैज्ञानिकों द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर प्रकाश डाला गया। फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जाना चाहिए जबकि ग्रामीण स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ाया जाना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ तुलसी भारद्वाज ने बताया कि दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए एवं उन सभी शोध पत्र मैं सुझाए गए सुझावों को मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर को भेजा गया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ गणेश भारद्वाज द्वारा सभी अतिथियों एवं शोधार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। मंच का संचालन मोनिका चौधरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ विकास यादव, प्रो सरदार पटेल कृषि विश्वविद्यालय, डीन डॉ दिव्या प्रकाश, डॉ अल्पना जोशी, विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अभिषेक डबास, प्रो विजय माहेश्वरी, डॉ अनुज गोयल, डॉ ज्योति शर्मा, डॉ तरुण शर्मा, डॉ अशोक कुमार, डॉ आरके जैन, डॉ राजुल दत्त, डॉ शैल ढाका, रूपेश कुमार, डॉ संदीप कुमार डॉ मीनाक्षी, डॉ नेहा बिष्ट एवं शोध छात्रों का विशेष सहयोग रहा।