न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ने आयोजित किया सीएमई इवेंट न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक के बारे में दी गई जानकारी

वाराणसी न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ने आयोजित किया सीएमई इवेंट न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक के बारे में दी गई जानकारी
मेरठ वाराणसी न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ने प्रसिद्ध मेडिकल एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर हाल ही में कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) इवेंट आयोजित किया है जिसमें न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक के बारे में बताया गया आर्टेमिस हॉस्पिटल में न्यूरो इंटरवेंशन के डायरेक्टर डॉक्टर विपुल गुप्ता ने न्यूरो से जुड़ी अलग अलग बीमारियों स्ट्रोक आर्टरीवीनस मालफॉर्मेशन यानी एवीएम और न्यूरिज्म के इलाज के लिए लेटेस्ट तकनीक के बारे में जानकारी दी
इस सत्र को आयोजित करते हुए डॉक्टर विपुल गुप्ता ने बताया कि कैसे इनोवेटिव न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक मरीजों के बेहतर इलाज में महत्वपूर्ण साबित हो रही है उन्होंने स्ट्रोक के असर के बारे में भी विस्तार से बताया जो दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता का दूसरा सबसे आम कारण बना हुआ है उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्ट्रोक पेशंट अक्सर क्वालिटी लाइफ पाने के लिए संघर्ष करते हैं
आर्टेमिस हॉस्पिटल में को चीफ स्ट्रोक यूनिट डायरेक्टर न्यूरो इंटरवेंशन डॉक्टर विपुल गुप्ता ने कहा मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक मेडिकल चमत्कार जैसा है जिसमें इस्केमिक स्ट्रोक के दौरान मस्तिष्क वाहिकाओं से ब्लड क्लॉट हटाने के लिए विशेष स्टेंट जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है. उन्होंने मस्तिष्क के ऊतकों को बचाने और रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए इस प्रक्रिया की क्षमता के बारे में विस्तार से बताया. वैसे तो इस प्रक्रिया के लिए टाइम विंडो 6 घंटे तक की मानी जाती है, लेकिन हालिया एडवांसमेंट से टाइम फ्रेम में 24 घंटे तक की वृद्धि की संभावना है
डॉ गुप्ता ने स्ट्रोक की जटिल प्रकृति पर बता रखी. उन्होंने ब्लड वेसल ब्लॉकेज के कारण होने वाले इस्केमिक स्ट्रोक और ब्रेन ब्लीडिंग से होने वाले हेमोरैगिक स्ट्रोक के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि ब्रेन से ब्लीडिंग कई कारणों से हो सकती है जिसमें हाइपरटेंशन और ब्लड वेसल संरचनाओं में असामान्यता जैसे एन्यूरिज्म और आर्टरीवीनस मालफॉर्मेशन शामिल है
हेमोरैगिक डिसऑर्डर के बारे में डॉक्टर विपुल ने जानकारी दी बताया गया कि सबर्कनॉइड हैमरेज और एन्यूरिज्म जैसी कंडीशन में न्यूरो इंटरवेंशनल प्रक्रिया कितनी असरदार है उन्होंने कॉइलिंग और फ्लो डायवर्टर जैसी तकनीक पर चर्चा करते हुए बताया कि इन तकनीकों ने कैसे सुरक्षित और अधिक प्रभावी उपचार की शुरुआत की है जिससे रोगियों को जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है डॉक्टर विपुल ने आगे कहा ”पहले स्ट्रोक को एक विनाशकारी बीमारी के रूप में देखा जाता था क्योंकि इसके लिए इलाज के विकल्प भी सीमित थे इससे न सिर्फ डॉक्टर बल्कि लोगों के बीच एक मजबूर और लाचार की भावना रहती थी हालांकि पिछले दो दशकों में न्यूरो इंटरवेंशन तकनीकों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है जैसे कार्डियक इंटरवेंशन से हार्ट डिजीज के इलाज का दायरा बदल गया है वैसे ही न्यूरो वैस्कुलर डिसऑर्डर के मामलों में न्यूरो इंटरवेंशनल प्रक्रिया से क्रांति आई है
डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि कैसे न्यूरो इंटरवेंशनल तकनीक से आर्टेरियल ब्लॉकेज के लिए मिनिमली इनवेसिव इलाज संभव हुआ है. इन तकनीकों में स्टेंट लगाना एंजियोप्लास्टी शामिल है जो आर्टेरियल ब्लॉकेज के मामले में काफी इस्तेमाल की जाती है. इससे मरीजों को सेफ्टी मिली है और इलाज के रिजल्ट भी बेहतर आए हैं
डॉक्टर विपुल गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि मेडिकल कम्यूनिटी के अंदर ही लगातार एजुकेशन और अवेयरनेस लानी चाहिए साथ ही आम लोगों को न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक की ताकत के बारे में बताना चाहिए उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि काफी प्रगति के बावजूद इसका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो सका है क्योंकि लोगों को इससे जुड़ी सेफ्टी और इसके असर को लेकर संदेह की स्थिति है. उन्होंने सीएमई कार्यक्रम को इस अंतर को पाटने का एक जरिया बताया और सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए उच्च सफलता दर प्राप्त करने के लिए रणनीतियों को रेखांकित किया
ये सीएमई इवेंट वाराणसी न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ने आयोजित किया जहां न्यूरो इंटरवेंशन तकनीक के बारे में समझने का अवसर दिया गया डॉक्टर विपुल गु्प्ता ने न्यूरो वैस्कुलर डिसऑर्डर के प्रभावशाली इलाज की संभावनाओं पर विस्तार से जानकारी दी और बताया कि कैसे ये मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है

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