जयपुर ,राजस्थान ब्राह्मण सभा” द्वारा भगवान परशुराम की जन्मस्थली को गृह मंत्री द्वारा स्वीकार्यता प्रदान किए जाने पर हुआ पंडित सुनील भराला का अभिनंदन एसडी शर्मा संस्थापक संरक्षक राजस्थान ब्राह्मण महासभा पंडित सुनील भराला राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक संरक्षक व नि. दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश सरकार का भगवान परशुराम की जन्मभूमि जानापाव जनपद इंदौर मध्य प्रदेश घोषित होने के उपरांत प्रथम बार जयपुर आगमन पर राजस्थान ब्राह्मण महासभा के संस्थापक संरक्षण की एसडी शर्मा के नेतृत्व में भव्य स्वागत किया गया।
राजस्थान ब्राह्मण महासभा के संस्थापक संरक्षक एसडी शर्मा ने बताया कि आज से आठ वर्ष पूर्व मेरठ में पंडित सुनील भराला संस्थापक संरक्षक राष्ट्रीय परशुराम परिषद व निर्वतमान अध्यक्ष राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश सरकार व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ भाजपा की पहल पर परशुराम स्वाभिमान सेना का जन्म हुआ। सेना के प्रमुख संस्थापको में श्री डी डी शर्मा डी वी कपिल अजय भरद्वाज और धर्मपाल शर्मा की भूमिका महत्वपूर्ण रही। परशुराम स्वाभिमान सेना द्वारा मेरठ में आयोजित महाकुम्भ में करीब 20 हजार व्यक्तियों ने भाग लिया। कालांतर में सेना के सहयोग से राष्ट्रीय परशुराम परिषद का गठन हुआ। परिषद् ने राष्ट्रीय महत्व की अनेक उपलब्धियों के अतिरिक्त परशुराम राष्ट्रीय शीच पीठ की स्थापना भी की है। जिसके राष्ट्रीय संयोजक वेदवत तिवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के वी कृष्णन और राष्ट्रीय महामंत्री राजाराम यादव पूर्वकुलपति के अथक परिश्रम का ही प्रतिफल है कि हरिद्वार से लेकर वृन्दावन वाराणसी प्रयागराज पुरा महादेव इंदौर तिनसुखिया अरुणाचल प्रदेश के कई स्थान इंदौर और जानापाव में सेमिनार्स वर्कशॉप्स दीर्घ सम्मलेन धर्म संसद और शोधपत्र प्रस्तुति जैसे अनेक कार्यक्रम बार बार संपन्न हुए। इन कार्यक्रमों में उपस्थित देश के के जन्म प्रतिष्ठित विद्वान् विचारक दार्शनिक मनीषी ऋषि और धार्मिक गुरुओं की उपस्थिति एवं मार्गदर्शन में शोध पत्र पढे गए व शोध का केंद्र-बिंदु भगवान् परशुराम जन्म स्थान कर्म स्थली उनके बारे में भ्रांतियां और वास्तविक जीवन संस्कार की सही तस्वीर खोजना रहा है।
परशुराम स्वाभिमान सेना के गठन से शुरू हुई यह यात्रा अब राष्ट्रीय परशुराम परिषद के रूप में आधिकारिक निर्णय उद्घोष करने की क्षमता प्राप्त धर्म ध्वजा वाहक संस्था बन चुकी है। यह उपलब्धि सुनील भराला के साहसपूर्ण समर्पण और संगठनात्मक कला की अनूठी मिसाल है।
भराला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि उपेक्षा और अज्ञानता के शाप से ग्रसित जिस जानापाव को देश तो क्या मध्य प्रदेश राज्य के जिला स्तर पर भी वह मान-सम्मान और पहचान प्राप्त नहीं थी वही जानापाव को अब पूरी दुनिया भगवान परशुराम की पुण्यस्थली के रूप में जानेगी और शीघ्र ही यह अवतरण भूमि विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त करेगा।
आगे कहां कि लाखो साल बाद परशुराम राष्ट्रीय शोध पीठ द्वारा घोषित की गई प्रभु परशुराम की जन्मभूमि पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा मोहर लगना देश के समस्त हिंदुओं के लिए गौरव की बात व परशुराम धाम निर्माण का निर्णय एक सपने जैसा साकार हुआ है।
विगत 22 अप्रैल को भगवान परशुराम के अवतरण दिवस पर उनकी जन्मभूमि जानापाव जनपद इंदौर मध्य प्रदेश में आयोजित परशुराम महायज्ञ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष भाजपा विष्णु दत्त शर्मा भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते संस्थापक संरक्षक राष्ट्रीय परशुराम परिषद व निवर्तमान दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश पंडित सुनील भराला राष्ट्रीय संयोजक राष्ट्रीय परशुराम परिषद अजय कुमार झा आदि वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। मंच से माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा विगत 08 वर्षो से समस्त राज्यों में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड के गठन एवं परशुराम धाम बनाने की मांग कर रहा था उसकी शुरुआत भगवान परशुराम जी की जन्मभूमि जानापाव जनपद इंदौर मध्य प्रदेश पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्राह्मण कल्याण बोर्ड बनाने की घोषणा कर समस्त भारतवर्ष के ब्राह्मणों का दिल जीता है साथ ही भगवान परशुराम की जन्मभूमि पर परशुराम धाम बनाने की घोषणा की थी।
भराला ने कहां कि इंदौर जिले का जानापाव अब तक का एक अनजाना सा स्थान अचानक उछलकर सुर्खियों में छा गया फिर सब जान पाए कि भगवान परशुराम के संदर्भ में सात नदियों का उदगम जानापाव स्थल भारत की संस्कृति है। यह एक अहम स्थान रहा है जो भगवान राम के संदर्भ में अयोध्या का रहा है।
आगे कहां कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद शोध पीठ के द्वारा काशी विश्वनाथ की धरती से भगवान विणु के छठवें अवतार भगवान परशुराम की जन्मभूमि का उद्घोश जानापाव जनपद इंदौर मध्य प्रदेश में हुआ था। बताया कि राष्ट्रीय परशुराम परिषद शोध पीठ विगत 08 वर्षो से देश की 18 विश्वविख्यात यूनिवसिर्टियों के कुलपति 36 प्रोफेसर व दर्जनभर शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय शोध पीठ के अध्यक्ष केवी कृष्णन चेन्नई व राष्ट्रीय शोध पीठ के सयोजक दिल्ली विवि के प्रोफेसर डा. वेदवतृ तिवारी सहित शोध पीठ ने भगवान परशुराम की जन्मभूमि जानापाव जनपद इंदौर मध्य प्रदेश में घोषित हुई थी जिसमें भगवान परशुराम की तपो और साधना बाल जीवन 56 स्थानों की भी खोज हुई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामेश्वर उपाध्याय व सानिध्य जगतगुरू शंकराचार्य रामभद्राचार्य जी रहे थे। भगवान परशुराम जी की जन्मभूमि पर मोहर लगाने का काम मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया है। जानापाव इंदौर को परशुराम धाम के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन का एक सुंदर स्थल का निर्माण किया जायेगा। भराला ने कहां कि उनका सपना है कि देश के सभी राज्यों व केन्द्र में ब्राह्मण कल्याण आयोग का गठन हो इसका शुभारम्भ देश के हिल के स्थान पर स्थित मध्य प्रदेश में कर दिया है। यह एक बहुत बडी उपलब्धि है जिसकी सर्वथ प्रशंसा और साधुवाद होना चाहिए।
आगे कहां कि जानापाव देश की दूसरी अयोध्या हो गई है, एक भगवान् राम की जन्म-स्थली दूसरी विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम का विस्मृत पुन्य जन्म-स्थान। उपेक्षा और विस्मृति के शाप से मुक्त होकर जानापाव उछल कर वैश्विक ऊँचाई पर स्थापित होगा।